आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Sunday, December 14, 2008

हम भारतीय कब बनेंगे?

जन्मेजय के पोस्ट पर बहुत से फ़ोन आए । वास्तव में इस बालक ने सपने के मध्यम से लिखी इस रचना के मध्यम से हम सब को नंगा कर दिया है। हम भारतीय कब बनेंगे? हम भारतीय से पहले किसी न किसी जाती या धर्म से अपनी पहचान क्यों बना लेते हैं जिसके कारण ही ये नेता लोग हम लोगों का शोषण कराने की सोचने लगते हैं। हमारी फ़ुट के कारण ही यह दहशत गर्द इतना कराने की जुर्रत कर पाते हैं। वास्तव में आज देश एक होकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ खडा है। ऐसे ही हमें सदैव एक रहना चाहिए। फ़िर किसी की मजाल नही, की मेरे वतन की और ऊँगली भी उठा सके।

राम मूर्ति सिंह मुरादाबाद

1 comment:

P.N. Subramanian said...

यही तो विडंबना है कि जब कोई वाह्य आक्रमण होता है तभी हम एक होते हैं.