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Monday, December 8, 2008

पोंगाबाद ने योनि के प्रति आकर्षण पैदा कर कामान्धता को प्रोत्साहन दे दिया।

बुद्ध और महावीर के बाद पैदा हुए अंधकार युग में पोंगाबाद के पनपने और अक्षम हाथों में सनातन परम्परा के आने के कारण ही कदाचित अर्थ का अनर्थ हो गया। योनि के द्वारा ब्लैक होल थ्योरी को समझने की जगह पोंगाबाद ने योनि के प्रति आकर्षण पैदा कर कामान्धता को प्रोत्साहन दे दिया। पश्चिमी देशों में तंत्र के नाम पर चल रही हजारों सैक्स की दुकानें इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

तंत्र के तत्ववेत्ताओं ने शिव को रुद्र अर्थात्‌ कम्पन रूप में अनुभूत किया। इस कम्पन्न ने जगत को मलरूप में अपने ऊपर धारण किया। यह कम्पन्न या रुद्र या शिव ही हर जीव के अंदर है और वह मल, अस्थि, मज्जा के मध्य स्पंदन करता है। इस प्रकार वह सब गुण जो सृष्टि में हैं उसकी इकाई के रूप में हर जीव का शरीर है। सृष्टि के अंदर जो कम्पन्न है उससे ही गति है और शरीर के अंदर के कम्पन से शरीर की गति है। अर्थात्‌ जीव का शरीर अपने आप में सृष्टि की पूर्ण इकाई है। इसके अंदर का कम्पन स्वयं में पूर्ण कम्पन है।

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