सत्य की ताकत को महात्मा गांधीजी ने अपने बचपन में ही अनुभव कर लिया था। सत्य के प्रयेग नामक पुस्तक में अपने संस्मरणों में उन्होंने स्वीकार किया कि बचपन में उन्होंने एक बार चोरी की। उन्होंने अपने भाई का सोना चुरा लिया था। कोमल हृदय पर इस पाप का इतना बोझ पड़ा कि वे विचलित रहने लगे।
उन्होंने एक पत्र लिखकर इस सत्य को अपने पिता को लिखकर दे दिया। प्रारम्भ में उने पिता कुछ नाराज अवश्य हुए लेकिन पुत्र के सत्य को स्वीकारने के इस साहस को देखकर उन्होंने गांधीजी को क्षमा कर दिया और सत्य को साथ रखने के कारण ही बापूजी राष्ट्रपिता बने। http://rudracomputereducation.blogspot.com/
2 comments:
Q: saty aur ahinsa kya hai?
satya aur ahinsa ki shakti manushya ko andar se mazaboot karati hai.
Inhi kee takat se mahatma gandhi ne us raj ko parast kiya jisake raaj men surya ast nahin hota tha.
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