आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Thursday, November 6, 2008

सत्य मार्ग साधना का परिचय

भारतीय सनातन परम्परा एक ऐसी गार्मेन्ट शॉप है जहाँ हर किसी के लिए उपयुक्त वस्त्र उपलब्ध हैं। यहाँ कोई बाध्यता नहीं कि आपको एक निश्चित साइज का कपड़ा ही पहनना पड़े। यदि आपके अंदर समर्पण का भाव है तो श्रीमद् भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया भक्ति योग आपके लिए उपलब्ध है। जी हाँ! अगर आप समर्पण को अंधविश्वास मानते हैं। आपके अंदर जानने की प्रवृत्ति है तो आइए ज्ञान योग में आपका स्वागत है और अगर आप ज्ञान और भक्ति को फिजूल मानते हें और कर्म पर विश्वास करते हैं तो सहजरूप से आप कर्मयोग को अपनाएं।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि उक्त तीनों में से किसी एक योग को धारण करने वाला व्यक्ति शेष दो को स्वतः प्राप्त कर लेता है और यही सत्य मार्ग है जो हमारे पूज्य गुरुदेव ने आदि गुरु से प्राप्त किया। उसे आज के परिवेश में परिमार्जित कर जन सामान्य के लिए, अपने गुरुदेव की आज्ञा से प्रकटीकरण कर दिया है। सत्यमार्ग साधना तीन चरणों में होती है-

१। श्रवण २. मनन ३. आत्मसातीकरण

1 comment:

Anonymous said...

Thoda aur clear karen. Let me know the details.