१। दो शिवलिंग, दो शालीग्राम, दो शंख, तीन दुर्गा और तीन गणेश भगवान की पूजा निषि( है।
२। मंदिर के लिए पिरामिडनुमा छत सर्वोत्तम होती है। मंदिर के ऊपर कलश व ध्वजा नकारात्मक ऊर्जा का शोषण करती है।
३। पितरों को मंदिर में स्थान न दें।
४। दीया या धूप दक्षिण में रखें। सवेरे घी व शाम को तेल का दीया जलाएं।
५। पूजा के पश्चात् उसी स्थान पर खड़े होकर तीन बार परिक्रमा करें।
६। आरती के समय थाली ७ बार घुमानी चाहिए। ३ बार घुटनों के सामने, २ बार नाभि, १ बार हृदय, १ मस्तक और अंत में पूर्ण प्रतिमा के आगे आरती की थाली घुमाएं।
७। पूजा में अक्षत खंडित न हो तथा उनमें सिंदूर, हल्दी, कुमकुम लगा थोड़ा-सा घी लगा दें। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
८. भगवान को फूलों की पंखुड़ियां तोड़ कर न चढ़ाएं।
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