कर्म का नियम कदाचित यह सुनिश्चित करता है कि आप अपने कर्मों का फल पाएं। यह कहता है कि कुछ भी पूर्व निर्धारित नहीं है। आपका भविष्य आपके अभी के तथा पूर्व के कर्मों पर आधारित होगा। जहाँ तक प्रार्थना का प्रश्न है मेरे विचार में प्रार्थना का उद्देश्य सिर्फ यही है कि हम स्वयं अपनी सहायता करने को उद्यत हों तथा कुछ सकारात्मक वचनों को बोलकर हम बेहतर तथा आशान्वित महसूस करते हैं तथा अधिक कुशलता से कर्म करने लगते हैं।
प्रस्तुति : प्रीतम
No comments:
Post a Comment