आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Monday, November 24, 2008

प्रार्थना बुरे कर्मों को निष्क्रिय कर देती है।

प्रार्थना न तो भगवान को प्रभावित करती है और न ही इससे उनका निर्णय बदलता है। प्रार्थना तो भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण की अभिव्यक्ति है। यदि लगा- तार प्रार्थना की जाए तो यह हृदय परिवर्तन करती है। फिर जो कुछ भी हो, व्यक्ति शान्तिपूर्वक सह लेता है। इस प्रकार यह व्यक्ति को कर्म के चक्र से मुक्त कर देती है। कर्म का नियम जैसे को तैसा का नियम नहीं है। प्रार्थना आपके कर्म को बदल सकती है क्योंकि यह स्वयं में एक अच्छा कर्म है। वह बुरे कर्मों को निष्क्रिय कर देती है।

प्रस्तुति : जयदेव

No comments: