अपने दुख से जो दुखी, मनुष्य वो पशु समान।
औरों का दुख झेलता, उसे देवता मान।
उसे देवता मान, जो धरती स्वर्ग बनाये।
तप और परहित के बल महामानव बन जाये।
कह साधक कवि,कभी न डरना अपने दुख से।
जग के दुख को बङा मान ले अपने दुख से।
अपने दुख से जो दुखी, मनुष्य वो पशु समान।
औरों का दुख झेलता, उसे देवता मान।
उसे देवता मान, जो धरती स्वर्ग बनाये।
तप और परहित के बल महामानव बन जाये।
कह साधक कवि,कभी न डरना अपने दुख से।
जग के दुख को बङा मान ले अपने दुख से।
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