आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Wednesday, November 12, 2008

अपने दुःख से दुखी मनुष्य पशु समान


अपने दुख से जो दुखी, मनुष्य वो पशु समान।

औरों का दुख झेलता, उसे देवता मान।

उसे देवता मान, जो धरती स्वर्ग बनाये।

तप और परहित के बल महामानव बन जाये।

कह साधक कवि,कभी न डरना अपने दुख से।

जग के दुख को बङा मान ले अपने दुख से।

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