1। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य और कार्तिकेय की मूर्तियों का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। गणेश, कुबेर, दुर्गा और भैरव का मुंह दक्षिण की तरफ़ हो एवं हनुमान का मुंह नैरित्य दिशा की तरफ़ होना चाहिए।
2। उग्र देवता जैसे काली की स्थापना घर में न करें। इसके अलावा घर में संगमरमर की मूर्ति न रखें।
३. पूजा स्थल में भगवान या मूर्ति का मुख पूर्व, पश्चिम या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए। मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में उपासक दक्षिणामुख होकर पूजा करेगा, जोकि उचित नहीं है।
४. पूजाघर के आस पास, ऊपर या नीचे शौचालय वर्जित है, पूजाघर में और इसके आस पास पूर्णतः स्वच्छता तथा शुद्धता होना अनिवार्य है।
५. रसोईघर, शौचालय, पूजाघर एक दूसरे के पास न बनाएं। घर में सीढ़ियों के नीचे पूजा घर नहीं होना चाहिए।
6। मूर्ति के आमने-सामने पूजा के दौरान कभी नहीं बैठना चाहिए। बल्कि सदैव दाएं कोण में बैठना उत्तम होता है।
७. पूजन कक्ष में मृतात्माओं का चित्र वर्जित है। किसी भी श्रीदेवता की टूटी-फूटी तस्वीर व सौंदर्य प्रसाधन का सामान, झाडू व अनावश्यक सामान पूजाघर में न रखें।
8. पूजाघर के द्वार पर दहलीज ज+रूर बनवानी चाहिए। द्वार पर दरबाजा लकड़ी से बने दो पल्लों वाला हो तो उत्तम होता है।
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