जिस समय भगवान हमारी इच्छाके विपरीत कुछ करते हैं, उस समय उनका वात्सल्य-स्नेह अत्यधिक प्रकाशमें आता है। क्योंकि वे अपनी मनचाही करके हमारी इच्छाओंको अपनी इच्छाके अनुसार रखना चाहते हैं, यह उनकी कितनी कृपा है। इससे उनकी परम आत्मीयताका पता तो चलता ही रहता है।
Saturday, March 14, 2009
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