जीवन तो धर्म का जीवन है, कर्मों का बन्धन है
धारा कब दूर नदी से, ईश्वर कब दूर खुदी से।
संयम कब दूर हदी से, कब जीव है दूर गति से।
जीवन....................................
जीवन के सफर में जानें कितने मकाम आते हैं
कितने आँसू दे जाते, कितने बहार लाते हैं।
प्यारे प्यारे दुःख डो, हँसते रोते मुखड़ों से
दिल के हंसीन टुकड़ों से खमोश खिले अधरों से।
जीवन.....................................
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