यन्त्र कागज, पत्थरों, धातुपत्र आदि पर बनाए जा सकते हैं। ये यन्त्र ग्रहों की स्थिति को भी दर्शाते हैं तथा उन पर ध्यान लगा कर ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त की जा सकती है। ग्रहों का हमारी भावनाओं तथा कर्मों पर प्रभाव पड़ता है। विभिन्न यन्त्रों को वेदों में बताए गए काल में तथा निश्चित तरीकों से बनाया जाता है। यन्त्र को आध्यात्मिक तकनीक भी कहा जाए तो उचित ही होगा, क्योंकि यह हमारे शरीर तथा मन 'तन्त्र तथा मन्त्र ' की शक्तियों को सही दिशा देकर उनका सदुपयोग करने में सहायक होते हैं। यन्त्रों से बहुमूल्य ऊर्जा के अनावश्यक क्षय से बचा जा सकता है। कुछ यन्त्र, ब्रह्माण्ड, चेतना तथा इष्ट देवता की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यन्त्र में देवताओं का वास होता है। यह देवताओं के आह्नान में सहायक होते हैं। हिन्दू संस्कृति में कई अवसरों पर घर-घर में रंगोली, अल्पना, चौक, मण्डल, कलम आदि पवित्र ज्यामितीय आलेखनों के रूप में यन्त्रों का निर्माण होता रहता है। इस प्रकार ये पूजा, यज्ञ तथा साधना का अभिन्न अंग हैं।
Tuesday, March 3, 2009
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