खल मण्डल न आदत संवारै न जीवन सुधारै
खलों की मइया व्यथा हरौ बैकुण्डऊ में खल नहीं सुधरे
ऐकऊ कुकरम छोड़ न संवरे ऋषि मुनि न तें उलझे कबहुँ नहीं सुलझे
खलों की मइया..............................
हरिद्वार बदनाम करायौ लोक औ परलोक गँवायौ
लाज शरम कौ हरण त्याग कुल वरण
खलों की मइया व्यथा हरौ...................
1 comment:
Saadhuvaad
Post a Comment