आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Thursday, March 5, 2009

खल मण्डल न आदत संवारै न जीवन सुधारै


खल मण्डल न आदत संवारै न जीवन सुधारै

खलों की मइया व्यथा हरौ बैकुण्डऊ में खल नहीं सुधरे

ऐकऊ कुकरम छोड़ न संवरे ऋषि मुनि न तें उलझे कबहुँ नहीं सुलझे

खलों की मइया..............................

हरिद्वार बदनाम करायौ लोक औ परलोक गँवायौ

लाज शरम कौ हरण त्याग कुल वरण

खलों की मइया व्यथा हरौ...................