शयनकक्ष
गृहस्वामी का मुख्य शयनकक्ष भवन में दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए और सोते समय सिरहाना दक्षिण में और पैर उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव और सिर के रूप में मनुष्य का उत्तरी ध्रुव ऊर्जा की ऐ धारा पूर्ण कर देता है। इसी प्रकार पृथ्वी का उत्तरी धु्रव और मनुष्य के पैरों का दक्षिणी धु्रव भी ऊर्जा का दूसरी धारा पूर्ण करता है और चुम्बकीय तरंगों के प्रवेश में बाधा उत्पन्न नहीं होती है। ऐसा होने पर सोने वाले को शान्ति व गहरी नींद मिलती है जिससे बुद्धि ठीक रहती है। घर में भी सुख समृद्धि व सम्पन्नता रहती है। यदि दक्षिण दिशा में सिरहाना रखना सम्भव न हो तो सिरहाना पश्चिम की ओर रखना चाहिए। अन्य दिशाओं में पलंग और सिरहाना रखने से बुद्धि का संचालन ठीक से नहीं होता है।
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