रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फ़रमाया कि जो शख्स बिस्मिल्लाह पढ़ता हो तो अल्लाह तआला उसके लिए दस (१०) हजार नेकियाँ लिखता है और शैतान इस तरह पिघलता है, जैसे आग में रांगा। हर जीशान (अहम) काम जो बिस्मिल्लाह से शुरू न किया जाए, वह नातमाम (अधूरा) रहेगा और जिसने बिस्मिल्लाह को एक बार पढ़ा, उसके गुनाहों में से एक जर्रा भर गुनाह बाक़ी नहीं रहता और फ़रमाया जब तुम वुजू करो तो बिस्मिल्लाह वलहमदुलिल्लाह कह लिया करो, क्योंकि जब तक तुम्हारा वुजू बाक़ी रहेगा, उस वक्त तक तुम्हारे फ़रिश्ते (यानी किरामन कातिबीन) तुम्हारे लिए बराबर नेकियाँ लिखते रहते हैं। हजरत इब्ने अब्बास से रिवायत है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फ़रमाया की कोई आदमी जब अपनी बीवी के पास आए तो कहे बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम ऐ अल्लाह हमको शैतान से महफूज रख और जो तू मुझे अता फ़रमाए उससे भी शैतान को दूर रख और कोई औलाद हो तो शैतान उसे भी नुकसान नहीं पहुँचा सकेगा (बुख़ारी शरीफ जिल्दे अव्वल सफ़ा २६)।
Monday, January 19, 2009
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1 comment:
यहाँ अनेको धर्मों के बारे में तमाम चीजें पढ़ कर अच्छा लगा
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