रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने शबे मेराज में चार (४) नहरें देखीं, एक पानी की, दूसरी दूध की, तीसरी शराब की और चौथी शहद की। आपने जिब्रीले अमीन से पूछा ये नहरें कहाँ से आ रही हैं। हजरत जिब्रील ने अर्ज किया, मुझे इसकी ख़बर नहीं। एक दूसरे फ़रिश्ते ने आकर अर्ज की कि इन चारों का चश्मा मैं दिखाता हूँ। एक जगह ले गया, वहाँ एक दरख्त था, जिसके नीचे इमारत (मकान) बनी थी और दरवाजे पर ताला लगा था और उसके नीचे से चारों नहरें निकल रही थीं। फ़रमाया दरवाजा खोलो अर्ज की इसकी कुंजी मेरे पास नहीं है, बल्कि आपके पास है। हुजुर ने बिस्मिल्लाह पढ़कर ताले को हाथ लगाया, दरवाजा खुल गया। अंदर जाकर देखा कि इमारत में चार खंभे हैं और हर खंभे पर बिस्मिल्लाह लिखा हुआ है और बिस्मिल्लाह की मीम से पानी, अल्लाह की ह से दूध, रहमान की मीम से शराब और रहीम की मीम से शहद जारी है। अंदर से आवाज आई ऐ मेरे महबूब! आपकी उम्मत में से जो शख्स बिस्मिल्लाह पढ़ेगा, वह इन चारों का मुस्तहिक़ होगा। (तफ़सीरे नईमी जि. १, स. ४३)
Tuesday, January 20, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Labels
Bhagawad
(1)
bible
(17)
diwali
(2)
FAQ
(3)
female
(5)
gandhi
(1)
gita
(8)
guru
(7)
holi
(1)
islam
(6)
jainism
(2)
karma
(1)
katha
(1)
kavita
(26)
meditation
(1)
mukti
(1)
news
(1)
prayer
(10)
rudra
(3)
Rudragiri
(1)
science and vedas
(6)
science and वेदस
(1)
spirituality
(147)
sukh
(6)
tantra
(31)
truth
(28)
vairgya
(1)
vastu
(2)
xmas
(1)
yeshu
(1)
गुरु
(4)
धर्मं
(3)
बोध कथा
(5)
स्पिरितुअलिटी
(2)
No comments:
Post a Comment