प्रेम और पौरुष की ज्योति हैं आप तो।
पीड़ा पतन प्रभु मेरे मिटा दो॥
पीड़ा पतन प्रभु मेरे मिटा दो।
दिशा......................................॥
हम भी खिले थे कभी मुरझा गए हैं।
मुरझा गए पर, गिरे तो नहीं हैं॥
अधिक और निर्माण करके रहेंगे।
दिशा......................................॥
प्रस्तुति : अंजलि शर्मा
1 comment:
Bahut Sunder
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