आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Monday, January 26, 2009

मांगो तो हैसियत देखकर भाग 2

गतांक se आगे.........

समय बीतता गया बात पुरानी हो गई। एक बार राज्य में भयंकर सूखा पड़ा। चरवाहे के पास चारे का अभाव हो गया। उसके पशु बिना चारे के सूखते जा रहे थे। चरवाहे की पत्नी ने उससे कहा कि अब राजा के पास जाकर उसे मदद मांगनी चाहिए। पत्नी की बात को सही मानकर चरवाह मुद्रा को लेकर राजा के पास चल दिया। राजधानी में आकर उसने महल के द्वारपाल को राजा की दी हुई मुद्रा दिखाई और राजा से मिलवाने को कहा। मुद्रा देखकर द्वारपाल ने उसे राजा के समक्ष पहुंचा दिया। राजा को चरवाहे द्वारा उसकी जान बचाने की घटना याद आ गई और उस गरीब चरवाहे को उसने आदर के साथ महल में ठहराया और अपने सिंहासन पर बिठा दिया। राजा बोला मित्र बताओ तुम्हें क्या चाहिए। चरवाहा बोला महाराज मेरे क्षेत्र में भयंकर सूखा पड़ा है। पानी के अभाव में हरियाली नष्ट हो गई है। मेरे पशु भूख से मर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में मुझे एक बुग्गी चारा दिलवाने की कृपा करें। राजा ने फौरन चारे की व्यवस्था करा दी और अपने माथे को पीटने लगा। अरे मैंने तो इसे राजसिंहासन पर बिठाया। यह राज भी ले लेता तो मैं इसे दे देता लेकिन इसको तो मांगना भी नहीं आया। हमारी स्थिति भी उस चरवाहे की सी है। देने वाला न जाने क्या क्या देने को बैठा है और हमको मांगना भी नहीं आता। चरवाहे ने राजा से मांगा तो क्या? घास फूंस। वह राजा के पास गया, राजा देने को उद्यत था। उससे राजा की हैसियत और उसके द्वारा दिए स्थान के अनुरूप याचना की जा सकती थी।

हम गुरु के पास जाते हैं। उस गुरु के पास जिसे हमारे कल्याण के लिए प्रभु ने भेजा है। केवल और केवल हमारे कल्याण के लिए और हम उससे मांगते क्या हैं? कंकर पत्थर जिन्हें हम स्वयं परिश्रम से अर्जित कर सकते हैं या किसी बीमारी का इलाज जिसे ठीक करने को संसार में करोड़ों चिकित्सक उपलब्ध हैं। हमको भी उस चरवाहे की तरह मांगना नहीं आता। अरे गुरु जब कहें कि मांग लो तो उनकी हैसियत के हिसाब से मांगो। जो क्षमता उसके अंदर है उस क्षमता को मांगो। जो दिव्यता उसके अंदर है वैसी ही दिव्यता की याचना करो। अगर वह सक्षम है तो देगा। नहीं तो तुम भले और हम। जब दोनों एक जैसे तो कौन किस से मांगे और कौन किसको दे। एक भिखारी दूसरे भिखारी को क्या देगा।

3 comments:

Unknown said...

laazavaab aur gyaan vardhak kahaani hai. dhanyabaad.

Anonymous said...

Guru MAHARAJ se gyan ke sivay kuchh maangana moorakhta hai........
well said

Anonymous said...

Guru MAHARAJ se gyan ke sivay kuchh maangana moorakhta hai........
well said