आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Monday, January 12, 2009

स्वामीजी रूक ना सके, कुसंस्कार की दौङ


परमात्मा के परम स्नेही उम्मीद सिंह बेधरक साधक जी की बारी सुंदर टिप्पणी प्राप्त हुई । उसे मूल रूप में प्रकाशित कर रहे हैं।

स्वामीजी रूक ना सके, कुसंस्कार की दौङ .

टी.वी। क्या माहौल ही, करे परस्पर हौङ ।

नाकरे परस्पर हौङ, कि संस्कति नष्ट हो कैसे।

भारत-भाग्य-सितारा, जल्दी अस्त हो कैसे।

कह साधक अब करो गुजारिश उसे स्वामीजी।

केवल ईश्वर पलट सके, दुष्चक्र स्वामीजी.

No comments: