परमात्मा के परम स्नेही उम्मीद सिंह बेधरक साधक जी की बारी सुंदर टिप्पणी प्राप्त हुई । उसे मूल रूप में प्रकाशित कर रहे हैं।
स्वामीजी रूक ना सके, कुसंस्कार की दौङ .
टी.वी। क्या माहौल ही, करे परस्पर हौङ ।
नाकरे परस्पर हौङ, कि संस्कति नष्ट हो कैसे।
भारत-भाग्य-सितारा, जल्दी अस्त हो कैसे।
कह साधक अब करो गुजारिश उसे स्वामीजी।
केवल ईश्वर पलट सके, दुष्चक्र स्वामीजी.
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