ईसाई मत भी इस बात को सिद्ध करता है। दूसरी सदी के अन्त में टरटूलियन ने कहा था, "वह भी इन्सान ही हैं जो कि इन्सान बनने वाला है, बीज में ही फल का अस्तित्व भी है।'' प्रभु का प्रेम तो उस अजन्मे च्चिच्चु से भी उतना ही है जितना अन्य किसी मानव से। ईसाई मतानुसार प्रभु ने मनुष्य के स्वयं अपने हाथों से अपना रूप देकर बनाया और उसमें अपनी साँस देकर प्राण फूँके। उस मनुष्य को जो कि भगवान का ही रूप है उसके अस्तिव को गर्भ में ही समाप्त करना बाइबिल के अनुसार घृणित कृत्य है।
Friday, January 9, 2009
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1 comment:
भ्रूण हत्या सभ्य समाज पर कलंक है...
सभी समझदार लोगों को इस विषय में जागरूकता फैलानी चाहिए
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