आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Wednesday, January 21, 2009

मंत्र को समझना है तो शांति जरूरी है।

मंत्र को समझना है तो शांति जरूरी है। मंत्र तो भाई मंत्र ही है। इसके बिना तो कुछ भी सम्भव ही नहीं। अरे जब केवद नाद था उस नाद को हस्तांतरित किया रिषियों ने अपने चेलों कोऋ तो किसके माध्यम से? अरे नहीं समझे बात मेरी। वह जो हस्तांतरण का माध्यम है वही तो मंत्र है। ओम कहां से चल्या और कैसे हम तक पहुंच्या? कभी गौर किया है। अरे भाई ओम तो सबसे प्राचीन मंत्र है। और आज भी उसी फार्म में है। इसे महामंत्र भी कह देवें। अरे ये महामंत्र ही है। यही गूंजे जब शान्त हो जावें। अब समझ लो बात। अगर मंत्र को समझना है तो शांति जरूरी है। अगर शान्ति नहीं है तो मंत्र क्या खाक काम करेगा। नहीं समझे? अगर शांत नहीं होगे तौ समझोगे भी नहीं।

प्रस्तुति : -बचन सिंह तेवतिया

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