अपने ही बीजों का बोयेगें पौधा।
पौधों से निर्मित वृक्ष बनेंगे॥
रूपान्तर अपने को करते रहेंगे।
दिशा........................................॥
त्याग और बलिदान का भाव हैं आप तो।
क्रान्ति मशाल मेरे 'राष्ट्र' को थमा दो॥
क्रान्ति मशाल मेरे राष्ट्र को थमा दो।
दिशा.........................................॥
2 comments:
बहुत खूब !
very Beutiful
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