आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Friday, January 2, 2009

क्रान्ति मशाल मेरे राष्ट्र को थमा दो।


अपने ही बीजों का बोयेगें पौधा।

पौधों से निर्मित वृक्ष बनेंगे॥

रूपान्तर अपने को करते रहेंगे।

दिशा........................................॥

त्याग और बलिदान का भाव हैं आप तो।

क्रान्ति मशाल मेरे 'राष्ट्र' को थमा दो॥

क्रान्ति मशाल मेरे राष्ट्र को थमा दो।

दिशा.........................................॥