धर्माचार्यों की भूमिका के अतिरिक्त विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा में भी यदि हम बच्चों को मूल्य परक शिक्षा दें-मानव जीवन का मूल्य बताऐं तथा दूसरों के जीवन का सम्मान करना सिखाऐं, तो बहुत सुधार सम्भव है। विद्यालयों में ही छात्रों को गर्भपात से होने वाले महिलाओं के स्वास्थ्य व कन्याओं की घटती संख्या से उत्पन्न सामाजिक असन्तुलन की भयावह स्थिति को भी बताया जाना चाहिए। और यदि इन छात्र-छात्राओं को गर्भपात के लिए इस्तेमाल होने वाले तरीकों की जानकारी दे दी जाए जो कि इतनी अमानवीय है कि उसका वर्णन रौंगटे खड़े कर दें तो वे शायद इस घृणित अपराध को कभी भी ना करने का संकल्प ले लें।
Saturday, January 10, 2009
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