भारतीय समाज में अहिंसा का बड़ा महत्व है। इस अहिंसा के सिद्धांत के अंतर्गत सभी जीवों के प्रति समस्त प्रकार की हिंसा निषेध है। पिछले दशक में भारतीय समाज में हिंसक घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसका आशय यह हुआ कि वैश्वीकरण के कारण भारत में हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं। सांख्यिकीय दृष्टि से तो यही सही है लेकिन इसके साथ दूसरा पहलू यह भी है कि इससे हिंसा के स्वरूप में परिवर्तन आया है। भारतीय समाज की संरचना में विभिन्न समूहों की बड़ी भूमिका रही है। ग्रामीण एवं नगरीय दोनों ही प्रकार के समाज शास्त्रीय अध्ययन इन समूहों के अध्ययन के बिना पूर्ण नहीं हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों के मध्य हुक्का समूह तथा महिलाओं के पनघट एवं शौच समूह समाज को प्रभावित करते हैं। नगरीय क्षेत्रों में प्रातः भ्रमण समूह तथा महिलाओं का किटी पार्टी समूह समाज को प्रभावित करता रहा है। उपरोक्त इंगित समूहों में चर्चा का प्रमुख बिन्दु दूसरे के जीवन में तांक झांक तथा उन पर चर्चा परिचर्चा रहा है। वैश्वीकरण के दौर में इन समूहों की उपयोगिता में कमी आर्ई है। दूरसंचार तथा टी। वी. के व्यापक प्रचलन तथा इन पर आने वाले धारावाहिकों ने एक नए समूह को जन्म दिया है। दर्शकों का इन धारावाहिकों के पात्रों से बनने वाला अमूर्त सम्बन्ध एक नए समूह की संरचना करने में सफल हो गया है। वैश्वीकरण का ही प्रभाव है कि अब घरों में महिलाएं पड़ौसियों आदि के बारे में चर्चा के स्थान पर धारावाहिकों के पात्रों तथा घटनाक्रमों पर अधिक चर्चा करती हैं।
1 comment:
चिंतन को प्रेरित करने वाले इस आलेख के लिये आभार.
दूरसंचार न केवल लोगों को बदल रहा है, बल्कि उनकी मानसिक संवेदनशीलता को मिटा रहा है एवं नैतिक पतन का रास्ता और तेज कर रहा है.
इन मामलों में लोगों को जागरूक करना जरूरी है.
सस्नेह -- शास्त्री
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