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Friday, February 13, 2009

वैश्वीकरण ने भारतीय मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित किया है।

वैश्वीकरण ने भारतीय मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित किया है। वैश्वीकरण के भारतीय समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के लिए पहले भारतीय संस्कृति के मूल स्द्धिांतों को समझना आवश्यक है। भारतीय संस्कृति स्थायित्व लिए हुए गतिशील संस्कृति है। इसकी गतिशीलता तथा स्थायित्व दोनों ही पक्षों पर वैश्वीकरण का प्रभाव दिखाई देने लगा है। ÷पब' संस्कृति का पनपना तथा एक परम्परावादी संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा मंगलौर के एक पब में घुसकर वहां उपस्थित लड़के एवं लड़कियों की बर्बर पिटाई करना, इसके दोनों ही पक्षों को दर्शाती है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा ÷लिव इन रिलेशनशिप' को कानूनी दर्जा दिए जाने को बिल पेश करना भारतीय समाज पर वैश्वीकरण के प्रभाव का ही परिणाम है। भारतीय समाज में धर्म एवं आध्यात्मिकता का प्रमुख स्थान रहा है। कानून के द्वारा व्यक्ति को बाहरी तौर पर गैर कानूनी कार्य करने से रोका जा सकता है। धर्म और आध्यात्मिकता की शक्ति ही उसे अंदर से गलत एवं समाज के प्रतिकूल कार्य करने से रोकती है। वैश्वीकरण के कारण सूचना तकनीक में आमूल चूल परिवर्तन आया है। इसके परिणाम स्वरूप एक ओर जहां कट्टरपंथियों को इंटरनैट, मोबाइल आदि संचार माध्यमों से अपनी बात को तेजी से फैलाने का मौका सुलभ हुआ है तो दूसरी ओर समन्वयवादी धार्मिक भावनाएं एवं धर्मनिरपेक्षता को भी बल मिला है। भारतीय योग एवं आध्यात्मिक प्रवचनों का बढ़ता बाजार वैश्वीकरण के कारण सम्भव हुआ है। विभिन्न धर्मों के बारे में अधिकाधिक लोगों को अधिकतम जानकारी मिलने के कारण समाज प्रभावित हो रहा है। रुद्र संदेश जैसी पत्रिकाओं के इंटरनैट संस्करणों ने भारतीय सनातन विचारों को पूरी दुनिया में तेजी से फैलाया है जिससे समाज में अन्य धर्मों के बारे में जानकारी मिल रही है। इंटरनैट पर भाषा परिवर्तक सोफटवेयर्स की उपलब्धता ने एक दूसरे धर्म की अच्छी बातों को समझने की प्रवृत्ति बढ़ी है। हालांकि तंत्र मंत्र जैसी दुकानों को चलाने वालों की संख्या में भी वैश्वीकरण से उपलब्ध संसाधनों के कारण वृद्धि हुई है। लेकिन इस वृद्धि से भी हानि के साथ साथ लाभ भी हुआ है। जिस पर समाजशास्त्रीय शोध की आवश्यकता है।

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