भारतीय इतिहास पर दृष्टिपात करें तो हम पाते हैं कि यहां समय समय पर विदेशी आक्रांता जातियां आती रही हैं। उदाहरण के रूप में यवन, शक, हूण आदि प्रारम्भिक दौर में आए। ये अपना प्रभाव भारतीय संस्कृति पर नहीं छोड़ पाए वरन इन सभी ने भारतीय संस्कृति को अंगीकार किया। तात्कालिक रूप से निश्चित ही बाहर से आने वाला जब प्रभुत्व जमाता है तो प्रभु वर्ग से समाज प्रभावित होता है, लेकिन कालांतर में संघर्ष के उपरांत सभी ने भारतीय समाज की परम्पराओं को अंगीकार किया। सबसे बाद में आने वाले इस्लाम और अंग्रेजों का ही उदाहरण लें तो हम पाते हैं कि भारत में इन समाजों के अंदर भी जाति प्रथा लागू हो गई जो भारतीय समाज का अंग है और आज भी विद्यमान है। भारतीय संस्कृति इतनी प्राचीन और विशाल है कि इससे संगम करने वाली संस्कृति इसी को अंगीकार करती है। वर्तमान में वैश्वीकरण के कारण भारतीय संस्कृति की इस विशेषता को आघात लगा है। भारत के वैश्विक ग्राम में बदलने के कारण तथा इंटरनैट आदि के तेजी से फैलने के कारण भारतीय समाज एक संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। इस पर व्यापक अनुसंधान की आवश्यकता है। बहुत से समाज वैज्ञानिक मानते हैं कि जिस प्रकार अन्य आक्रांताओं ने भारतीय संस्कृति को अंगीकार किया उसी परम्परा के अंतर्गत वैश्वीकरण की मशीनी संस्कृति भी भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर लेगी। परन्तु कुछ समाज वैज्ञानिक मानते हैं कि इस बार ऐसा नहीं होगा। कुछ छोड़ने तथा कुछ ग्रहण करने की स्थिति के बाद ही स्थायित्व आएगा।
Saturday, February 14, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Labels
Bhagawad
(1)
bible
(17)
diwali
(2)
FAQ
(3)
female
(5)
gandhi
(1)
gita
(8)
guru
(7)
holi
(1)
islam
(6)
jainism
(2)
karma
(1)
katha
(1)
kavita
(26)
meditation
(1)
mukti
(1)
news
(1)
prayer
(10)
rudra
(3)
Rudragiri
(1)
science and vedas
(6)
science and वेदस
(1)
spirituality
(147)
sukh
(6)
tantra
(31)
truth
(28)
vairgya
(1)
vastu
(2)
xmas
(1)
yeshu
(1)
गुरु
(4)
धर्मं
(3)
बोध कथा
(5)
स्पिरितुअलिटी
(2)
No comments:
Post a Comment