बने हम सभी सृष्टि के सिपाही।
धरा स्वर्ग सी बने और
सुंदर बन जाये संसार॥
प्रेम....................
प्यार ही है जगत में सार।
प्राणी को दो ये सुन्दर वरदान॥
प्रेम....................
सच्चा प्यार अमर कर दो।
प्रेम की मदिरा हमें पिला दो॥
प्रेम....................
गुरु की सेवा राम की पूजा।
गुरु पद रज की सादर, पूजा करा दो॥
प्रेम....................
स्वर्ग रत्नों की नहीं चाहना।
गुरु को गले लगा लो गुरु जी॥
जोइँ दोनों हीथ।
प्रेम का दो हम को वरदान॥
No comments:
Post a Comment