कहिवे सुनवे में भली रे है खाँडे की धार।
करिबे सोचे होय ना रे, ना कोई रहे विचार॥
सोचे बोलें बाँनियाँ जीवन का व्यापार।
यहाँ न जीवन मरण है, नहीं जीत और हार॥
जामें ये वाँसा करें रे, सोई सबकौ हार।
अमर जीत यह उर बसै, साज बाज बिन तार॥
पीर फकीरी एक है रे, वसय हीये के द्वार।
रुद्र खजाना प्रेम का, छोड़ि जगत व्यवहार॥
4 comments:
Kya baat hai.
Good Sanjayji.
बहुत खूब . लगे रहे .
अच्छी पत्रिका . बहुत खूब . लगे रहे .
@यहाँ न जीवन मरण है, नहीं जीत और हार॥
यही सत्य है.
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