जिज्ञासाः- महाराजश्री, रामचरित मानस में एक चौपाई "संकरु राम रूप अनुरागे। नयन पंचदस अतिप्रिय लागे॥'' में शिव के १५ नेत्रों का वर्णन किस आधार पर महाकवि तुलसी दास ने लिखा है -योगेन्द्र सिंह, नगला संतोषी।
समाधानः- भगवान शिव के पांच मुख हैं तथा प्रत्येक मुख पर तीन नेत्र इस प्रकार पांच गुणा तीन अर्थात शिव के पंद्रह नेत्रों का वर्णन महाकवि तुलसीदास ने किया है, जो अत्यंत प्रिय लग रहे हैं।
जिज्ञासाः- महाराजश्री स्वास्तिक चिह्न का विश्लेषण तथा अर्थ बताने की अनुकम्पा करें। साथ ही यह भी बताने की अनुकम्पा करें कि आप अब तक कितनी कथाओं को विरचित कर चुके हैं? -रघुराज सिंह बैनीवाल, हिन्दौन
समाधानः-स्वास्तिक शब्द दो शब्दों का मेल है। स्व एवं अस्ति। यह स्वयं के अस्तित्व का प्रतीक है। यह मंगल चिह्न माना जाता है। इसमें चारों ओर निकलने वाली रेखाएं चारों दिशाओं की द्योतक हैं, जो प्रत्येक दिशा में बढ़ती हुई उर्ध्व की ओर प्रयासरत होती प्रतीती होती हैं। इसके केन्द्र में आत्मा का स्थान है। इस प्रकार यह सत्य का प्रतीक भी है। जहां तक कथाओं की गिनती का प्रश्न है उसके बारे में बस इतना कह सकते हैं कि संख्या बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है कि कितने लोगों ने उस पर अमल किया। फिर भी आपकी जिज्ञासा के लिए लगभग ६५० कथाएं अब तक हो चुकी हैं।
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