आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Sunday, October 26, 2008

आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि

भक्ति अंजलि में भरने, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि।
समय की तपशिला पर बैठ कर, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि॥
स्वर्ग न जानू, मुक्ति न माँगू, जानू नाम तिहारा ॥
इसी नाम के सहारे, आई तेरे द्वारे भगवान्‌ अंजलि॥
हाँ, इसी नाम के सहारे, आई तेरे द्वारे भगवान्‌ अंजलि ।
भक्ति अंजलि...............॥
इच्छा और आकांक्षाओं को, इष्ट के साथ मिलाया।
इसी साथ के सहारे, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि॥
हाँ। इसी साथ के सहारे, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि।
भक्ति अंजलि................॥
मीरा के संग नृत्य करा, और सूर की लकुटी पकड़ी।
मेरी भी ले लो खबरिया, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि॥
हाँ। मेरी ले लो खबरिया, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि।
भक्ति अंजलि..................॥
अर्जुन और सुदामा की राखी, चेतन्य और सुमान की राखी।
मेरी भी सुध लो सँवरिया, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि॥
हाँ इसी आस के सहारे, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि।
भक्ति अंजलि.................॥
ऊँच न जानूँ, नीच न जानँू, जानूँ समता नारा।
इस समता के कारण, माँगने सहारा आई अंजलि॥
हाँ इस समता के कारण, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि।
अंजलि................॥
रीती है अरमानों की झोली, दूर कहीं से कोयल बोली।
जीवन की इस क्षण भंगुरता से, क्यों उदास होती है अंजलि॥
आजा शरण में प्रभु की, मिलेगी ये मुक्ति तुझे 'प्रेम' में।
हाँ, भक्ति अंजलि में भरने, आई तेरे द्वारे भगवन्‌ अंजलि॥
प्रस्तुति : अंजलि शर्माप्रवक्ता, महेश्वर कन्या इण्टर कालेज अलीगढ़

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