अंधेरा छोड़ कर मैंने,
उजाला पा लिया देखो।
जो विष के घूँट चिर पीऐ,
वही अमृत बना देखो॥
अंधेरा..........................
अंधेरा जब भी घिर आए,
पुकारो नाम तुम उनका।
तुम्हें अपना बनाने को,
जमीं पर आऐंगे देखो॥
अंधेरा.........................
तेरी रहमत से हे! भगवन्,
तुम्हारी मैं पुजारिन हूँ।
शरण में आ गई देखो,
प्रभु अजमा के तुम देखो॥
अंधेरा..........................
प्रस्तुति : श्रीमती अंजलि शर्मा
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