आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Wednesday, April 15, 2009

ध्यान से आसक्ति या मुक्ति तक

ध्यान एक ऐसी स्थिति है जब मनुष्य का मन - मस्तिष्क किसी व्यक्ति विषय या वस्तु की और लगा हो । पर यह ध्यान लगने और टूटने वाला होता है जैसे एक कक्षा में पढ़ाई चल रही है सब छात्रों का ध्यान पाठ में लगा है सब पूरे मनो योग से लेक्चर को सुन रहे हैं तभी कक्षा में कोई प्रवेश करे या कोई सामान गिर जाए तो क्या होता है ,सबका ध्यान उस और बह जाता है ।वैसे तो संसार में कुछ भी सदैव टिकने वाला नहीं पर ध्यान मन के आधीन होने के कारण बहता ही रहता है क्योंकि मन सेमान और चंचल है ।

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