जल के गुण तथा शक्तिः- मनुष्य जीवन हेतु जल अनिवार्य है, यह भूमि की उपज को सुरक्षित रखने हेतु उसे पोषित करता है। यह पोषण से कहीं अधिक पोषण का स्त्रोत है अतः इसकी तुलना न केवल दूध से की गयी है वरन् "गाय'' से भी यह अत्यंत उपयोगी है। यह प्राणाधार है। मृत्यु तथा रोग से यह मनुष्यों को दूर रखता है यह इसका मूल सि(ान्त है। अथर्ववेद के एक सूक्त में इसे इस प्रकार कहा गया है कि "जिस प्रकार माता के दूध से पुत्र को पोषण प्राप्त होता है उसी प्रकार जल के भीतर विद्यमान उत्तम सुखदायक रसों से हमारे शरीर, मन और आत्मा की शक्तियों की वृ(ि हो।'' इसी प्रकार कुछ सूक्तों में जल को कूओं तालाब, तथा घड़ों में एकत्रित करने के संदर्भ में बताया गया है। जो यह बताता है कि तत्कालीन रिग्वैदिक आर्य जल का महत्व समझते थे। जल को आरोग्य वर्धक तथा रोगनिवासक कहा गया है।
रिग्वैदिक नदियाँ:- रिग्वेद के अनेक स्थलों पर नदियों का जल उल्लेख हुआ है वर्तमान में भी अस्तित्व में है परन्तु कुछ विलीन हो चुकी है या अपना अस्तित्व खो चुकी है। वर्तमान में भी नदियां तो किसी भी राष्ट्र की प्राणदायिनी शक्तियां होती हैं। रिग्वेद के लगभग तीन स्थलों पर २० नदियों का उल्लेख हुआ है। नदी सूक्त ;१०/७५द्ध में नदियों का स्पष्ट रूप से उल्लेख है तथा यह बताया गया है कि नदियों को इन्द्र लाया। यह भी उल्लेख किया गया है नदियां व्यक्ति को पापों से मुक्त करके जीवन को पवित्र करती हैं। अर्थवेद में इन्हें देवी स्वरूप बताकर कहा गया है कि ममतामयी मां होकर इन्होंने मनुष्य की भौतिक आकांक्षाओं को पूरा किया .
उपलब्ध नदियाँ:- रिग्वैदिक नदियाँ जो आज से हजारों वर्ष पूर्व थी तथा इनका उल्लेख रिग्वेद एवं वेदों तथा उपनिषद, एवं ब्राम्हण ग्रंथों में आया है वर्तमान में भी अस्तित्व में है तथा ईश्वर की सृष्टि का वर्णन करती हैं। जो मानव हेतु रची गयी।
गंगा - तीन बार इसका उल्लेख रिग्वेद में आया है। नही सूक्त में सर्वप्रथम गंगा का वर्णन आया है। जिससे उसकी श्रेष्ठता सि( होती है। यह नदी वर्तमान में सम्पूर्ण उत्तर भारत में बहती है। तथा भारतीय विख्यात तीर्थ स्थल इसके किनारे पाये जाते हैं।
यमुनाः- रिग्वेद में तीन बार इस नदी का उल्लेख मिलता है।सरस्वतीः- लगभग ४० बार इस नदी का उल्लेख आया है। इसे माता के रूप में बताया है इसका उदगम स्थल मीरापुर पर्वत तथा बीकानेर में विलुप्त होता बताते हैं। प्रयाग में गंगा यमुना में मिल गयी हैं तथा रिग्वेदिया सप्त सरिताओं में एक है। "इस नदी को सबसे अधिक वेग वाली तथा जलाशय में सब नदियों से बढ़कर बताया गया है। अन्य नदियां तो उसमें जाकर इस प्रकार मिलती है जैसे रंभाती गौवें अपनी बछड़ों के पास दौड़कर जाती हैं।'' उपरोक्त नदियों के अलावा गोमती, सरयू, वितस्ता, झेलम, इत्यादि नदियों का भी उल्लेख आता है। परन्तु नर्मदा जो विशेषतः मध्य प्रदेश में बहती है जो वर्णन कहीं भी नहीं पाया जाता है।
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