आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Tuesday, April 20, 2010

कल्याण हमारे अपनी तरफ ध्यान देने से होगा

आप जिसको पढ़ते हैं, उसी का तो ज्ञान होता है। जिस पर ध्यान देते हैं, उसी का ही ज्ञान होता है। अपनी ओर ध्यान देने की बात है। हम अपने पर कभी ध्यान नहीं देते। कभी स्त्री पर, कभी बेटी पर, कभी भाई पर-कभी किसी पर। ये सब भी हमारे जीवन के लिए जरूरी हैं लेकिन कल्याण हमें अपनी तरफ देखने से होगा। पत्नी की तरफ देखने से घर चलेगा, देखना चाहिएऋ बच्चों की तरफ देखने से परिवार चलेगा, देखना चाहिएऋ समाज की तरफ ध्यान देने से जीवन बेहतर होगा, देखना चाहिए। लेकिन कल्याण हमारे अपनी तरफ ध्यान देने से होगा, अपने भीतर जो भरा हुआ है, उस पर ध्यान देने से होगा कल्याण। है ना, समझ में आ रही न बात? स्कूल पर ध्यान दोगे, स्कूल का ज्ञान होगाऋ खेत पर ध्यान दोगे, खेत का ज्ञान होगा, बिजनेस पर ध्यान दोगे, बिजनेस का ज्ञान होगा। तुमने अपने पर ध्यान दिया है कभी? बुरा मत मानना। अब तक नहीं दिया तो कोई बात नहीं। लेकिन अब गलती नहीं होनी चाहिए। चौबीस घण्टे में कभी न कभी ध्यान दिया करो, ध्यान किया करो-अच्छा रहेगा। और जरूरी नहीं है कि ध्यान करने के लिए तुम पद्मासन लगाकर बैठा। चारपाई में पड़े हुए भी ध्यान दे सकते हो। पंखे के नीचे बैठे हुए हैं आराम से सोफे पर बैठकर ध्यान दे सकते हैं। हमारे भीतर क्या है? उसको देखना। मेरे भीतर क्या गलत है, क्या सही है उसे देखो। मैं उस आदमी की बुराई करता हूँ कि वो बीड़ी पीता है लेकिन मैं तो सिगरेट पीता हूँ। तो क्या सिगरेट बीड़ी से बढ़िया है। मैं कहता हूँ दूसरा आदमी बीयर पीता है, पर मैं तो ठर्रा पीता हूँ। ऐसे करके देखना कि जिसकी तू बुराई कर रहा है वो ज्+यादा कुकर्मी है कि तू ज्+यादा कुकर्मी है। ऐसे तुलना करना, अच्छा। ये जरूर करना।

हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे। हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे॥

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