तू इधर जो निकले, तेरे मिट जाऐं सारे अंधेरे,
तू नहीं अकेला, सब मिल के हैं यहाँ जुटे रे।
सन्तों की महफिल में रह, फिर ना भटक पाएगा॥
सुन अभिमानी...
जीवन सँवर जाएगा, सुन अभिमानी।
आएगा जब तू संतों के द्वार...............
जानता नहीं है, सारी दुनियाँ है मतलब का फेरा,
कोई ना किसी का, ये जीवन है जोगी का फेरा।
क्या तेरा, क्या मेरा? अमरत को पा जाएगा॥
सुन अभिमानी.... जीवन सँवर जाएगा, सुन अभिमानी।
आएगा जब तू संतों के द्वार.................
हंस वर्ण है तेरा, क्यूँ चलता है कागा की चालें,
धीर सिन्धु तज के, क्यूँ पकड़े बबूलों की डालें।
भूल नहीं, कबूल यही हरे रुद्र पा जाएगा॥
सुन अभिमानी.........
आएगा जब तू संतों के द्वार महक उठेगा तेरा सब संसार
जीवन सुधर जाएगा, सुन अभिमानी॥
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