आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Monday, August 31, 2009

सिद्धियों का दुरुपयोग करने व व्यर्थ प्रदर्शन करने पर साधन भ्रष्ट होने का भय रहता है।

तिब्बत में भी बौद्ध भिक्षुक तथा लामाओं के जीवन में ध्यान-साधना का महत्वपूर्ण स्थान है। इस रहस्यमयी विज्ञान को वहाँ बहुत मान्यता दी जाती है। वहाँ के साधुगण स्वेच्छा से एकान्त की अभिलाषा के कारण एक ऐसे कक्ष में प्रविष्ट हो जाते है, जहाँ की दीवारें छः फीट चौड़ी, पत्थर से बनी होती हैं जिससे उसके भीतर कोई आवाज न पहुँच सके। सन्यासी के भीतर जाने के बाद कक्ष का मुंह भारी पत्थर से बंद कर दिया जाता है, जहां भीतर घुप्प अंधेरा और शान्ति होती है। यह ऐसा स्थान हो जाता है, जहाँ सन्यासी ध्यान व चिन्तन-मनन में लीन हो जाता है। दिन में एक बार भोजन भीतर सरका दिया जाता है। यहाँ से कोई भी सन्यासी ३ वर्ष, ३ माह व ३ दिन के समय से पूर्व इस भौतिक स्थूल शरीर में बाहर नहीं निकल सकता। जब उसके निकलने में सिर्फ एक माह का समय शेष रहता है तो कक्ष की छत में एक छोटा सा छेद किया जाता है, जिसे प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा बड़ा किया जाता है, जिससे कि थोड़ा-थोड़ा प्रकाश भीतर जाने लगे और धीरे-धीरे सन्यासी की आँखे रोशनी की अभ्यस्त होने लगें अन्यथा वह बाहर निकलते ही तेज+ रोशनी के अचानक आँखों पर पहुँचने से अन्धा हो सकता है। सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि वह सन्यासी अधिकांशतः कुछ समय पश्चात ही पुनः उसी कक्ष में प्रवेश कर जाते हैं और शेष जीवन एकान्त में ध्यानस्थ रह कर व्यतीत करते हैं। दरअसल उन्हें अंदर ध्यानस्थ रहने के दौरान इस प्रकार का अभ्यास हो जाता है कि इस भौतिक शरीर को इधर-उधर घुमाने और इन्द्रियों का प्रयोग करने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती। वे वहाँ बैठे-बैठे ही बाहर के जगत को सूक्ष्म शरीर के माध्यम से जान सकते हैं तथा विचार प्रक्षेपण करके किसी तक भी पहुँचकर उससे कुछ भी करवा सकते हैं। ध्यान में ऐसी अनेकों रहस्यमय चीजें हैं जो रोमांचित और चमत्कृत कर देने वाली हैं। परन्तु सन्त जन व मुनि इनमें न फँस कर अपने अन्तिम लक्ष्य आत्मानुभूति व ब्रह्मानिष्ठा की ओर अग्रसर रहता है। ये सब तो सिर्फ प्रलोभन व भटकाने वाली चीजें हैं। इनसे साधक की ब्रह्मजिज्ञासा व दृढ़ता की परीक्षा होती है। साथ ही इन सिद्धियों का दुरुपयोग करने व व्यर्थ प्रदर्शन करने पर साधन भ्रष्ट होने का भय रहता है। अतः अत्यधिक सावधान रहकर साधना करें। ये साधक है इसमें ही फंस गए, अटक गए तो लक्ष्य तक पहुंचना असंम्भव हो जाएगा। सबको गुरु की कृपा व आशीष प्राप्त हो। इसी आशा व विश्वास के साथ- ।

1 comment:

RAVI said...

mr. singh aapne bahut acchi bat batai . really mai yahi maanta hu saadhna hi aaj ke waqt me ek meditation hai jo hume control kar saktahai nai urjaa de sakta hai. dear sir i am a business man plese tell something more about dhyan . how it is possible in city at our home . please send me more about dhyan darshan . i really suprised it is a good description on saadhna . my mail id is ravig79@HOTMAIL.COM