सम्पूर्ण विश्व आतंकवाद एवं हिंसा तथा युद्ध की विभीषिका से रूबरू है। इस महाराक्षस ने मानव अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर दिया है। हिंसक हथियार इतने प्रभावकारी बन चुके हैं कि उनका उपयोग इस पृथ्वी की सतह से जीवन को हमेशा के लिए समाप्त कर सकता है। हिंसा और आतंकवाद का अपना इतिहास रहा है और विश्व के प्रमुख धर्मों में इनको किसी न किसी रूप में स्थान दिया गया है तथा उचित एवं अनुचित युद्ध की संज्ञा दी गई है। आतंकवाद, हिंसा और युद्ध किसी भी रूप में हो नुकसान हमेशा मानव जीवन का ही हुआ है। इनके कारण परमेश्वर की सर्वोत्तम रचना को अपूर्णनीय क्षति पहुंची है। मसाही कलीसिया का इतिहास भी युद्ध एवं आतंकवाद से अछूता नहीं रहा जिसका प्रमाण रहे हैं जो दसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा ग्यारहवीं शताब्दी के प्रथम दशक में हुए और सम्पूर्ण यूरोप इसमें झुलस गया। निर्दोषों के खून से सम्पूर्ण यूरोप लाल हो गया। यहां पर एक प्रश्न मानवीय दृष्टिकोण से उठता है कि, क्या मसीही कलीसिया का निर्माण निर्दोषों के रक्त पर हुआ है? मसीही दृष्टिकोण से हिंसा, आतंकवाद का कारण मनुष्य का पाप है। अर्थात ईश्वर की आज्ञाओं के विरुद्ध मानव का विद्रोह तथा परमेश्वर की इच्छा की अवहेलना कर जब मनुष्य अपनी इच्छा का दास बन जाता है तो वह स्वार्थ एवं अहं के मार्ग पर चलने लगता है। जो भी उसके इस मार्ग में बाधा डालता है उसको मार्ग से हटाने हेतु मनुष्य हिंसा और आतंकवाद का सहारा लेता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि जब प्रभु यीशु ने लोगों को यह शिक्षा दी कि वे पाप का मार्ग त्याग कर ईश्वर की क्षमा को स्वीकार करें और ईश्वर के राज्य में प्रवेश करें तो मानव पाप ने, जो उसके स्वार्थ का परिणाम था, इसे स्वीकार न किया और प्रभु यीशु मसीह को क्रूस पर लटका दिया।यह विश्व के इतिहास की सबसे क्रूरतम एवं प्रायोजित आतंकवाद की घटना है। मसीह का क्रूूस पर लटकाया जाना हिंसा और आतंकवाद का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह अन्यत्र कहीं नहीं पाया जाता। इसके विपरीत प्रभु यीशु का क्रूस पर से यह संबोधन कि "हे पिता इन्हें माफ कर क्योंकि यह नहीं जानते कि क्या करते हैं।'' ईश्वरीय दया, क्षमा एवं प्रेम का सवोत्कृष्ट उदाहरण है। शेष कल ......
Tuesday, May 12, 2009
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1 comment:
दुनिया में दो प्रकार के आतंकवाद ज्यादा मात्रा मे देखने मे आती है । लाल आतंकवाद जिसका मुख्य श्रोत वामपंथी विचारधारा है । दुसरा प्रकार हरे आतंकवाद का है जिसका श्रोत इस्लाम एवम कुरान है। मुहम्मद एवम मार्क्स को मानवता के विरुद्ध दुर्घटना भी कहा जा सकता है । एक बहुत दिलचस्प पहलु आप को बता दुं - जहां हरा आतंकवाद है वहां लाल आतंकवाद नही पनपता, जहां लाल आतंकवाद है वहां हरा आतंकवाद नही फैलता। यह इस कारण से होता है की दोनो के प्रकार अलग अलग होने के बावजुद हिंसक वृति का श्रोत एक हीं है । एक दिन ऐसा आएगा जब मानवजाति तंग आ कर इन पर प्रतिबन्ध लगाने को बाध्य हो जाएगी ।
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