गुरु ज्ञान जो हृदय में आए, मन के सारे भरम नसाए॥
गुरु चरणन में प्रीत घनेरी, समझो माया उसकी चेरी॥
रुद्राज्ञा में जो जन चलते, कलियुग उनके पास न फटके॥
दिव्य रुद्र का ध्यान जो धरते, चमत्कार नित देखा करते॥
चरणन में जो शीश नवाए, परम पद का मारग पाए॥
Saturday, May 2, 2009
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