जैसा कि हम पहले कह चुके हैं कि इस पृथ्वी पर हिंसा एवं आतंकवाद का कारण मनुष्य का पाप है। इस सन्दर्भ में बाइबिल धर्मग्रंथ के उत्पत्ति ;प्रथम पुस्तकद्ध के चौथे सोपान में कैन एवं हाबिल नामक दो भाइयों की कहानी है जिसमें क्रोध, स्वार्थ, ईर्ष्या स्वरूप कैन अपने छोटे भाई की हत्या कर देता है और परमेश्वर जब उससे कहते हैं कि - तेरा भाई कहां है? तो वह कहता है कि "क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूं।'' इस घटना में मनुष्य का मनुष्य के प्रति व्यवहार, सम्बन्ध एवं ईश्वर का मनुष्य के साथ व्यवहार की सुन्दर झलक मिलती है। वास्तव में मानव की यही मनोवृत्ति कि "क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूं'' आज संसार में हिंसा एवं आतंकवाद का कारण है। स्वार्थ, ईर्ष्या को जन्म देता है और ईर्ष्या मनुष्य को यह सीख देती है कि वह अपने भाई, पड़ौसी, सहधर्मी का रखवाला नहीं है। महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हम इस संसार में एक दूसरे के रखवाले हैं। परमेश्वर ने हमें यह दायित्व सोंपा है और यही परमेश्वर की श्रेष्ठ आज्ञा है। मानव का सर्वोच्च रखवाला, चिंता करने वाला स्वयं परमेश्वर है। इसका प्रमाण हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों के मध्य स्वयं प्रभु यीशु में देहधारी होकर कलवरी क्रूस से उन्होंने दिया, जो सम्पूर्ण मानव को पाप से छुटकारा है। प्रिय मित्रो, पवित्र ग्रंथ बाइबिल में हिंसा एवं आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। इसके स्थान पर क्षमा, ईश्वरीय प्रेम तथा आपसी सम्बन्धों की मधुरता/मिठास को सराहा गया है, जो हिंसा एवं आतंकवाद के लिए उचित एवं न्यायोचित जवाब है। प्रार्थना एवं आशीर्वाद के साथ.......................
Friday, May 15, 2009
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