गतांक से आगे....
...........जो ज्ञानी होता है, वह अपने से बड़ी आयु और बड़ी जाति वालों में भी पूज्यनीय होता है। ज्ञानी चाहे किसी भी जाति का हो पूज्य है। क्योंकि बिरादरी चमड़ी की होती है और ज्ञान बुद्धि का। बुद्धि किसी जाति विशेष की नहीं होती ज्ञान से होती है।
जाति न पूछो सन्त की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान॥
ज्ञान के लिए बुद्धि देखनी चाहिए और भोग के लिए जाति देखनी चाहिए। लड़के लड़की का रिश्ता करना है, तो जाति कुल, अंश-वंश इनको देखो। परन्तुु यदि ज्ञान प्राप्त करना है तो जाति कुल नहीं सिर्फ बुद्धि को देखो। ...... विस्त्रत के लिए इस लिंक पर क्लिक करें ................ http://www.bhagawat-katha.blogspot.com/
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