सात लोक नीचे हैं, सात लोक ऊपर। - १. तल, २. अतल, ३. वितल, ४. तलातल, ५. रसातल, ६. महितल, ७. पाताल, नीचे के। ये भी तीन प्रकार के नास्तिक लोगों को सुख सम्पत्ति से भरे हुए मिलते हैं'' गीता जी में ऐसा कहा गया है। और भू, भुवः, स्व, मह, जन, तप, सत्य से सात ऊर्ध्व लोक हैं। ये शास्त्र के अनुसार चलने वाले सात प्रकार के तीन प्रकार की श्र(ा वाले लोगों को मिलते हैं। परन्तु जिनमें न श्र(ा है, न धर्म है, शास्त्र विरु( जो चलते हैं वो नर्क लोक को जाते हैं। और यह नर्क लोक पृथ्वी से नीचे, जल के ऊपर दक्षिण दिशा में हैं। अग्निश्वातादि पितृगण रहा करते हैं, उल्टे लटके हुए ;वहाँ सूर्य पुत्र यमराज उनको दण्ड़ की व्यवस्था करते हैं।द्ध ये नर्क अट्ठाईस हैं। परीक्षित! देख, जो पुरूष दूसरे के धन, सन्तान, स्त्री का हरण करे, उसको तामिस्र अंधेरा नर्क जिसमें डण्डे मिलते हैं। जो पुरुष संसार में धन कमाए और दान न करे उसको रौरव नर्क मिलता है। और जो मनुष्य गृहस्थ होकर के धन कमाए, दान भी नहीं करे और अपने माँ बाप की सेवा भी नहीं करे उसको महारौरव नर्क मिलता है। इसलिए गृहस्थी चाहे अमीर हो चाहे गरीब हो सभी को दान अवश्य करना चाहिए। कुरान शरीफ में भी आता है, गरीब हो तो भी दान करना चाहिए, अमीर हो, तो भी दान करना चाहिए, अपने सामर्थ्य के हिसाब से। ज्यादा गरीब है तो एक रोटी का टुकड़ा ही चींटियों को डाल दे। कुछ न कुछ दान ज+रूर करें, रोज करें, नहीं तो यही नर्क मिलेगा। जो पशु पक्षियों का मांस खाते हैं उनको कुम्भीपाक,नर्क मिलता है। इसमें उसे गर्म तेल के कढ़ाहे में डाल दिया जाता है। और जो माता-पिता, गुरुजन, ब्राह्मण, संत, वेद, शास्त्र, यज्ञ, कथा, सत्संग से विरोध करते हैं उनको तपी हुई तांबे की जमीन पर लिटा दिया जाता है। जो आदमी वेद के मार्ग को छोड़कर पाखण्ड करता है उसको असिपत्रवन नर्क में ले जाकर कोड़ों से पीटा जाता है। परीक्षित! जो लोग पशु की या मुर्गे की बलि चढ़ाते हैं, भैंसे की बलि चढ़ाते हैं
Sunday, November 15, 2009
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