इस में बहुत बड़ी जानकारी और बहुत बड़ा हमारा आग्रह है और हमें लगता है कि हमने ये चीज छोड़ दी तो पूरी जिन्दगी का मकसद ही बदल जाऐगा। इतने उसमें इन्वॉलव हो गए हैं। मुझे कोई फूल प्यारा लगता है, वो फूल दिखा, फूल मन को इतना भा गया कि वोही फूल होना चाहिए। लेकिन वो फूल ऐसा है कि जो मेरे बस की बात नहीं है, जो मेरे रैन्ज में नहीं है, जो मेरे अधिकार में नहीं है, जो मेरे पावर के वश की बात नहीं है। जो उस फूल का दर्द है, वो मेरे दिमांग में कपड़ा बन कर बैठ जाएेगा। वो कपड़ा, फूल की चाहत, उसकी सुन्दरता, उसका सुकून, उसका सुख, फूल का महत्व, फूल का रंग रूप, और फूल का जो फल है, जिसको में ले लू तो मेरा ऐसा हो जाऐगा, वैसा हो जाऐगा। ये सारी चीजों को लेकर के रात की नींद, दिन का चैन खत्म, ये ऐसा कपड़ा है। और ये जो सारी चीजें हैं, खटकने की चीजें हैं। ये भी खतरनाक कपड़ा है।
Sunday, October 17, 2010
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4 comments:
सत्य कहा है
SANJAY JI, DHANYAWAAD
GURU VACHANO KO JAN JAN TAK PAHUCHANE KE LIYE AAP SADHUVAD KE PATRA HAIN
SANJAY JI, DHANYAWAAD
GURU VACHANO KO JAN JAN TAK PAHUCHANE KE LIYE AAP SADHUVAD KE PATRA HAIN
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