आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Sunday, December 13, 2009

जैसा खाते हैं वैसी बुद्धि बनती है .

भगवान को स्मरण करे अपने भोजन में से पाँच आहुतियाँ अग्नि देव को अर्पित करें। फिर भोजन देवताओं को निवेदन करें

'त्वदीयमस्तु गोविन्दम्‌ तुभ्यमेव समर्पये''।

ऐसे भोजन करने से हृदय के रोग, ब्लड़ के रोग और दिमागी परेशानी कम होती है। ये डायबिटीज+, सुगर, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, ये क्यों हो रही हैं? बिना नहाए-धोए, बैठे-उठे, लोग भोजन करते हैं। खड़े होकर पानी पियोगे तो डायबिटीज+, सुगर और ल्यूकोरिया बनेगा। आज-कल ज्यादातर आदमी खड़े होकर ही खाते हैं। बाजार में खड़े-खड़े बोतल पियेंगे तो बीमार शरीर बनेगा ही। डायबिटीज+ बनेगा, ल्यूकोरिया बनेगा, किड़नी और लीवर खराब होंगे। क्योंकि जो तुमने खड़े होकर खाया और पिया है वह सीधा जाकर आँतों पर बोझ बन जाता है, आँतें कमजोर होती हैं तथा ेमगनंस नाड़ियों पर वजन पड़ता है ये खराब होती हैं। इसीलिए जो आदमी ज्यादा मौडर्न है वह ज्यादा खतरनाक है, खराब है। बैठे करके भोजन करने से पेट की आँतें पूरा काम करती हैं। बैठकर भोजन करें, लेकिन अपने घुटने और पंजे को पेट से चिपका के नहीं दूर रख के। खड़े होकर भोजन करने से गधे जैसी बुद्धि बनती है। आज-कल आदमी जल्दी बूढ़ा हो जाता है जैसे गधा जल्दी बूढ़ा हो जाता है। पहले सत्तर साल का आदमी भी जवान है और आज का सत्रह साल का लड़का भी बूढ़ा हो गया।

हरे रामा.........................................

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