आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Monday, December 14, 2009

सौ प्रतिशत प्रवृत्त कोई है तो प्रकृति है

बैठ कर भोजन करें, खड़े होकर कभी भी नहीं करें। इस तरह से मैंने तुम्हें बैकुण्ठ बताए, स्वर्ग बताए, नर्क बताए और मुक्ति भी बताई। प्रवृत्ति मार्ग और निवृत्ति मार्ग दोनों मार्ग बताए। ये शास्त्रों की कथा है तो बहुत सुन्दर है महाराज। लेकिन आप खुद जानते हैं कितने लोग हैं जो प्रवृत्ति को जानते हैं और प्रवृत्ति पर चले हैं? है कोई एकाध? शास्त्र में जो प्रवृत्ति बतलाई हैं, कोई एक भी आदमी दुनियाँ में हैं जो उस प्रवृत्ति मार्ग पर चला है। नहीं है। हो ही नहीं सकता। और जो निवृत्ति बताई है कोई एक भी है, जो पूरी तरह निवृत्त हो। सत्य यह है कि सौ प्रतिशत प्रवृत्त कोई है तो प्रकृति है, सौ प्रतिशत निवृत्त कोई है तो-पुरुष है तीसरा तो कोई न हुआ, न है, न होगा। हरे रामा.........................................

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