आधयात्मिक मूल्यों के लिए समर्पित सामाजिक सरोकारों की साहित्यिक पत्रिका.

Wednesday, December 26, 2012

बड़े दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।


२५ दिसम्बर बड़ा दिन, प्रकाश से जगमग होते गिरिजे तथा गिरिजों में तिमिर के शमन को तथा प्रकाश के आलोक को बिखेरने के लिए स्वयं को तिरोहित करती हुईं जलती मोमबत्तियां। बहुत कुछ कह जाता है है प्रभु यीशु का यह जन्मोत्सव, जिसे दुनियां की बहुत बड़ी आबादी बड़े दिन के रूप में मनाती है। इस बड़े दिन की सभी सुधी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं।
साथियो, तुलसीदास जी मानस में लिखते हैं- बड़े भाग मानुष तन पावा.। यह मनुष्य शरीर बड़े भाग्य से मिलता है। इस जन्म को पाकर मनुष्य पूर्णता भी प्राप्त कर सकता है और सब कुछ खो भी सकता है। अन्य योनियों में यह सम्भव नहीं है। सूर्य के प्रकाशित रहने की अवधि के काल के अनुसार देखें तो इस दिन से पूर्व सबसे छोटा दिन होता है। अर्थात अंधकार की मात्रा के बढ़ने का जहां चरम आता है, प्रकाश की अवधि जब निम्नतम अवधि पर होती है। तब परमेश्वर अंधकार को तिरोहित करने के लिए अपने पुत्र को धरा पर भेजता है, इस संदेश के साथ अब बहुत हो चुका, जाओ और चहुंओर प्रकाश का आलोक फैला दो। वह आता है प्रकाश फैलाने और अंधकार से स्वयं को ओतप्रोत कर चुके हम अधम पापी जीव उसी को सलीब पर टांग देते हैं। किन्तु वह दयालु फिर भी हम अधमों के कल्याण की कामना करता है और पुनः जी उठता है।
उसको मानने वाले और न मानने वाले दानों ही उसकी पूजा तो शुरु कर देते हैं लेकिन उसके वचनों का पालन करने में बड़े कृपण बने रहते हैं, मोमबत्ती तो जलाते हैं, उसके प्रकाश को देखकर बड़े हर्ष का अनुभव भी करते हैं लेकिन मोमबत्ती के उस मर्म को नहीं समझते कि किस प्रकार हमें प्रकाशित करने के लिए उसने स्वयं को समाप्त कर लिया है। हमें वही मोमबत्ती बनना होगा। स्वयं को जलाकर किसी को राह दिखाने पर ही हम मैरी क्रिसमस कहने वाले सच्चे जीवात्मा हो पाऐंगे।
इसी मास की आखिरी तारीख को वर्ष २०१२ का अंत हा जाएगा। इस अंतिम बेला में हमें स्वयं को आइना दिखाना होगा। हम अधम हैं, पापी हैं, नीचे की ओर गिरना हमारा गुण है। जितने गिरने थे गिर लिए आओ प्रभु यीशु के जन्म का समय है बड़ा दिन है अब गिरना बंद और उठना प्रारम्भ करें तो देर नहीं है।
शेष नियमित फीचर्स एवं महाराजजी द्वारा विरचित श्रीमद् भागवत को समाहित किए यह अंक प्रतिदिन आपके जीवन में बड़ा दिन लेकर आए इसी कामना के साथ..............संजय भइया

Wednesday, November 14, 2012

एक दीप जलाना ही होगा


दीपावली के पावन पर्व पर समस्त पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं। दीपावली का पर्व, पर्वों का समूह है तथा भिन्न भिन्न आधारों पर भिन्न भिन्न सम्प्रदायों द्वारा एक ही स्वरूप से मनाया जाने वाला त्यौहार है। दुनिया भर के लोग इस स्याह रात के तिमिर को दीप जलाकर तिरोहित करते हैं।
दुनिया के सभी धर्मों में अंधकार से प्रकाश की ओर चलने की बात कही गयी है। अंधकार का स्वामी शैतान माना जाता है और प्रकाश का गुरु। अंधकार झूठ का प्रतीक है और प्रकाश सत्य का। सार्वभौम जगतगुरु सूर्य अपने दैदीप्तमान प्रकाश के कारण ही सर्वत्र पूज्य है।
सूक्त वाक्य ÷तमसोमा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्ममा अमृतगमय' कहता है कि हमारी यात्रा अंधकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरत्व की ओर होनी चाहिए। जब जन्म है तो मृत्यु निश्चित है। अतः अमरत्व तब तक सम्भव नहीं जब तक कि हम जन्म को प्राप्त न हों। और बार बार जन्म लेने से बचना तब तक सम्भव नहीं जब तक कि हम स्वयं पूर्ण प्रकाशित न हों। पूर्ण प्रकाशित होकर ही स्वयं को उस दिव्य प्रकाश में समा पाना सम्भव है।
दीपावली के पर्व पर हम केवल दरवाजों पर दीप ही नहीं जलाते वरन अपने घरों की सफाई भी करते हैं। हमारे घरों में जमे हुए कबाड़ को निकालकर इस दिन हम बाहर फैंक देते हैं। दीपावली की रात्रि में पूजन के उपरांत प्रातः पौ फटने से पहले हमारे घरों की माताएं सूप को पीटकर आवाज देती हैं कि लक्ष्मी का आगमन हो रहा है अतः दरिद्र तू चला जा।
कचरा निकलने पर ही मां लक्ष्मी घर में प्रवास करती हैं। दीप जलने से   अंधकार भाग जाता है। यह व्यवस्था जिस प्रकार घर में है ठीक उसी प्रकार हमारे अंदर भी है। अंदर अगर पूवाग्रहों का कचरा भरा है तो मां लक्ष्मी कहां निवास करेंगी। पहले हमें अपने अंदर से कचरा निकालना होगा। यह कचरा है हमारे संस्कारों का। कई लोग कहते हैं कि ये संस्कार तो हमें विरासत में मिले हैं या कि हमने बड़े जतन से एकत्रित किए हैं, इन्हें कैसे निकाल दें। क्या घर में से जो कबाड़ निकाला है, वह भी जतन से ही एकत्रित किया था। हमें आगे बढ़ना है, प्रकाश लाना है तो एक दीप जलाना ही होगा.................................संजय भइया

दीप जलाएं

आओ दीप से दीप जलाएं अन्धकार का शमन कर नयी रोशनी लाएं 

Tuesday, July 24, 2012

विमोचन

महाराज जी ने कुमारी लाव्यता द्वारा बनाए गए कलेंडर का विमोचन किया इस अवसर पर रूद्र सन्देश पत्रिका के सभी साथी उपस्थित थे .